Lyrics RSS - Hindu Samskriti Ke Vat Vishal

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Hindu Samskriti Ke Vat Vishal
Date added
27.03.2018 | 03:20:10
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तेरी चोटि नभ छूती है
तेरी जड पहुँच रही पाताल
हिन्दु संस्कृति के वट विशाल॥धृ॥

जाने कितने ही सूर्योदय मध्यान्ह अस्त से तू खेला
जाने कितने तूफानों को तूने निज जीवन में झेला
कितनी किरणों से लिपटी है तेरी शाखाएँ डाल-डाल ॥१॥

जाने कितने प्रिय जीवों ने तुझमें निज नीड़ बनाया है
जाने कितने यात्री गण ने आ रैन बसेरा पाया है
कितने शरणागत पूज रहे तेरा उदारतम अन्तराल ॥२॥

कुछ दुष्टों ने जड़ भी खोदी शाखा तोड़ी पत्ते खींचे
फिर कई विदेशी तत्वों के विष से जड़ के टुकड़े सींचे
पर सफल आज तक नहीं हुई उन मूढ़ जनों की कुटिल चाल ॥३॥

अनगिन शाखाएँ बढ़ती है धरती में मूल पकड़ती हैं
हो अन्तर्विष्ट समष्टि समा वे तेरा पोषण करती है
तुझ में ऐसी ही मिल जाती जैसे सागर में सरित माल ॥४॥

उन्मुक्त हुआ लहराता है छाया अमृत बरसाता ह
Ваш пик расцветает
Ваш большой охват
Огромная культура индуистской культуры.

Знайте, сколько восхода солнца вы играли
Знайте, сколько штормов вы приняли в своей личной жизни
Сколько луков обернуто, положите ветви.

Знайте, сколько дорогих существ сделали в вас ничто
Знайте, сколько пассажиров Гана нашло Аана Басареру
Ваш умеренный интервал в том, сколько поклонилось беженцам.

Некоторые негодяи даже укоренили вырытые ветви
Затем просеивают кусочки корня из токсина многих посторонних элементов
Но успешный ход этих идиотов не был успешным до сегодняшнего дня.

На земле растут бесчисленные ветви.
Он воспитывает вас в обществе.
Вы можете найти такую ​​вещь таким образом, чтобы резные товары в океане.

Развязывая парящие тени, эликсир не дождется
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